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परी कथा

"हम लोग स्कूल से अपने घर के लिए निकले थे। पर उस पहाड़ी गुफा से हम आपके देश कैसे पहुच गये? क्या उस गुफा से कोई रास्ता आपके देश को आता हैं?'"


अब आगे....


तब परी ने कहा- "नही बच्चो! हमारा देश इस पृथ्वी पर होते हुए भी पृथ्वी वासियो के नजरो से ओलझ रहता हैं। एक विशेष मुहूर्त पर ही हमारे देश का रास्ता खुला हैं। जिससे धरती वासी हमारे देश मे आ सकते हैं। पर ये रास्ता सिर्फ उन्हे ही नजर आता हैं जिनका दिल साफ होता हैं। आओ अब मै तुम दोनो को अपने देंश की सैर कर दूं।"


राज और अर्जुन सम्मोहित से परी शहजादी के पास आ जाते हैं। फिर परी शहजादी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और राज और अर्जुन अचानक अपनी जगह से हवा मे उड़ने लगे और नीलपरी के साथ उसके देश में घूमने लगे।


नील परी उन्हें अपने देश के बारे में बताती जाती थी । जगह-जगह मिठाई की दुकाने लगी थी बहुत-सी जगह खिलौनों की दुकाने लगी थी, छोटे-छोटे बच्चे हवा मे उड़ने का प्रयास कर रहे थे। हर जगह बहुत भीड़ थी, आज पूरे नील देश मे चारो तरफ परियां ही परियां नजर आ रही थीं।


एक स्थान पर बहुत-सी परियां भीड़ लगाये खड़ी थीं, और हस-हस कर बाते कर रही थी। अर्जुन ने उन्हे देखकर पूछा- "नील परी ये परियां यहां भीड़ लगाये क्यों खड़ी हैं?"


नील परी ने बताया- "आज हमारे देश में एक बहुत ही खास त्यौहार निशापहर मनाया जाता है। इस दिन हमारे देश में जगह-जगह बहुत से संस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, कहीं पर नाच-गाना होता है, कहीं पर खेल होता हैं। और हम परिया इस दिन अपने जादुई शक्ति का प्रदर्शन करते हैं, और नई शाक्तिया हासिंल करने के लिए अपने इष्ट परीदेवी को प्रसन्न करती हैं। आज का दिन हमारे लिए बहुत खास होता हैं।"


नील परी राज और अर्जुन के साथ हवा मे उड़ते हुए नील देश के बारे मे बताते-बताते कब अपने देश की सीमा से लगे जंगलो तक पहुच गई थी पता ही नही चला। कुछ आगे बढ़ने पर घंने जंगलो का सिलसिला शुरु हो गया। हर तरफ ऊंचे-ऊंचे और घने-घने वृक्ष लगे थे। उन पेड़ो से हल्का-हल्का सुनहरा प्रकाश निकल रहा था।


राज और अर्जुन जब उन पेड़ो के ऊपर से उड़ते हुए जा रहे थे। तब उन्हे ऐसा लगता है जैसे पेड़ो के तने बढ़कर उन दोनो को सहला रहे हैं। राज और अर्जुन को गुदगुदी लगने लगती हैं और वो जोर-जोर से हसने लगते हैं।


दोनो को हसता देश नील परी बताती है- "बच्चो ये जंगल हमारे देश की सीमा से अलग हैं। यह जंगल बहुत मयावी हैं। यह जंगल दो राज्यों के बीच पड़ता हैं, पर इस जंगल की महारानी की आज्ञा के बिना इस जंगल मे कोई प्रवेश नही कर सकता था।"


राज ने चौकते हुए कहा- "तो क्या आप इस जंगल की महारानी की आज्ञा लेकर हम दोनो को यहा लाई हैं? हम लोग तो बिना किसी अवरोध के इस जंगल मे उड़ रहे हैं। और अभी तक तो हम लोगो के साथ कुछ भी अपशगुन नही हुआ! और ना ही इस जंगल की महारानी अभी तक नजर आई हैं!"


"वर्षो पूर्व इस जंगल की महारानी और पड़ोसी देश के बीच बहुत बड़ा युध्द हुआ था। इस युध्द मे काफी नरसंहार हुआ था। बहुत से लोग मारे गए थे, और बहुत से देश छोड़ कर भाग गये थे। अभी कुछ समय पहले जिन पेड़ो के तने तुम्हे सहला रहे थे, वही पेड़ो के तने उस युध्द मे विकराल रूप धरकर धरती फाड़ कर पूरा राज्य तबाह कर दिया था।" नील परी ने बताया।


अर्जुन ये सब सुनकर आश्चर्य-चकित रह गया। और बड़ी-बड़ी आखे करते हुए कहा- "परी रानी इस जंगल की महारानी तो बहुत ताकतवर लगती हैं। आपकी बाते सुनकर अब मेरा मन भी उस महारानी से मिलने को कर रहा हैं।"


अर्जुन की बाते सुनकर नील परी खिलखिलाकर हस पड़ती हैं और बोलती है- "अब हम इस जंगल की महारानी से नही मिल सकते हैं कुछ समय पहले देवताओ और दानवो के युध्द के बाद इस जंगल की रानी गायब हो गई। कुछ लोग का कहना है कि वो पिशाचनी शक्ति की अधिकता के कारण वायुलीन हो गई है तो कुछ लोग कहते हैं कि वो अपने प्रियतम के साथ ही आखिरी लोकसफर पर चली गई हैं। लोग तरह-तरह की बाते करते है। पर आज भी लोग इस जंगल के सभी पेड़-पौधे, फूल-पत्ती, जीव-जन्तुओ मे महारानी की शक्ति का प्रभाव महसूस करते रहते हैं।"


अर्जुन ने पूछा- "नील परी इस जंगल की महारानी का नाम क्या था? और उसका प्रेमी कौन था? और ये लोकसफर क्या है? बताइए ना!"


नील परी ने मुस्कुराते हुए बोला- "रानी के बारे मे जानने को बहुत बेचैन हो रहे हो? इस मधुवन की रानी की कहानी बहुत लम्बी हैं। राजमहल पहुंच कर आराम से बताउंगी। तब तक इंतजार करों।"


राज नील परी की बाते बड़े गौर से सुनते हुए हवा मे उड़ रहा था तभी जंगल के बीचो-बीच कुछ निशान देखकर चौक उठता हैं।


"नील परी वो देखिए! ये तो हाथी के पैरों के निशान लगते हैं। पर ये निशान तो मुझसे भी बड़े हैं।" राज ने उन निशानो की तरफ इशारा करते हुए बोला।


नीलपरी ने जब उन निशानों को देखा, तो वह चौंक उठती हैं। उन निशानों को देखकर नीलपरी को बहुत आश्चर्य होता हैं।हैं।


राज नीलपरी के चेहरे की तरफ बहुत गौर से देख रहा था। नीलपरी बहुत ध्यान से उन निशानों को देख रही थी। नीलपरी के चेहरे पर चिंता की रेखाये नजर आने लगी थी।


नील परी के चेहरे पर चिंता की रेखाये देखकर अर्जुन ने पूछा- नीलपरी क्या बात है, जो आप इन निशानों को इतने गौर से देख रही हैं?"


नीलपरी ने कहा- "बच्चों, हमारे देश की पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि कभी इस देश में बहुत बड़े-बड़े राक्षस होते थे। उन राक्षसों में और परियों में बहुत भयानक युद्ध हुआ था। अंत मे डरकर वे राक्षस इस जंगल की तरफ भागे थे। और उसके बाद वे आज तक कहीं नजर नहीं आये। परियों ने सोचा कि सभी राक्षसो का अंत हो चुका हैं। और बचे हुए बाकी राक्षस भाग गये। आज दशको बाद मैं वही निशान देखकर आश्चर्य में हूं कि ये निशान उन्हीं राक्षसों के हैं। मगर वे राक्षस अभी तक जिन्दा हैं, इस पर विश्वास नहीं हो रहा हैं।"


उसी समय एक भयानक शोर-सा उठा, धरती मे कंपन सा महसूस होने लगा। उन्होंने देखा कि पन्द्रह-बीस फुट ऊंचे राक्षस जो बीस-पच्चीस की संख्या में थे, मदमस्त होकर शोर मचाते हुए चले आ रहे थे।


कहानी जारी रहेगी अगले भाग मे...

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13 Comments

नंदिता राय

08-Sep-2022 08:33 PM

शानदार भाग

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Kaushalya Rani

06-Sep-2022 05:35 PM

Nice post 👌

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Barsha🖤👑

06-Sep-2022 05:07 PM

Nice post 👌

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